Paper Title

आधुनिक समय में प्राचीन भारतीय शिक्षा प्रणाली की प्रासंगिकता

Authors

Dr Madhu Shree

Keywords

मुख्य शब्द- प्राचीन शिक्षा प्रणाली, आधुनिक काल, प्रासंगिकता, नैतिक विकास, कौशल विकास, सामाजिक विकास।

Abstract

*सारांश:* प्राचीन भारतीय शिक्षा प्रणाली, जो वैदिक युग में निहित थी, ने समग्र विकास, आध्यात्मिक उन्नति और सामाजिक जिम्मेदारी पर जोर दिया। यह शोध पत्र आधुनिक समय में इस प्रणाली की प्रासंगिकता का अन्वेषण करता है, इसके समकालीन शैक्षिक लक्ष्यों और मूल्यों के साथ इसके संरेखण को उजागर करता है। हम गुरु-शिष्य परंपरा, आत्म-अनुशासन और अनुभवात्मक शिक्षा जैसे प्रमुख सिद्धांतों की जांच करते हैं और वर्तमान शैक्षिक चुनौतियों का समाधान करने की उनकी क्षमता का विश्लेषण करते हैं। हमारा विश्लेषण बताता है कि प्राचीन भारतीय शिक्षा प्रणाली आधुनिक शिक्षा के लिए मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करती है, महत्वपूर्ण सोच, रचनात्मकता और चरित्र विकास को बढ़ावा देती है। इन शाश्वत सिद्धांतों को एकीकृत करके, हम एक अधिक व्यापक और समावेशी शिक्षा प्रणाली बना सकते हैं, जो छात्रों को एक निरंतर बदलती दुनिया के लिए तैयार करती है। शिक्षण शिक्षार्थियों के जीवन के सभी पक्षों और क्षमताओं का संतुलित विकास करता है इसके लिए पाठ्यक्रम में विज्ञान और गणित के अलावा बुनियादी कला शिल्प मानविकी और शारीरिक फिटनेस भाषा साहित्य तथा मूल्य का अवश्य ही समावेश किया जाना चाहिए शिक्षा से चरित्र निर्माण होता है शिक्षार्थियों में नैतिकता तार्किकता और संवेदनशीलता विकसित करनी चाहिए| राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 प्राचीन और सनातन भारतीय ज्ञान और विचार की समृद्ध परंपरा के आलोक में तैयार की गई है ज्ञान प्रज्ञा और सत्य की खोज को भारतीय विचार परंपरा में सदा सर्वोच्च मानवीय लक्ष्य माना गया है प्राचीन भारत में शिक्षा का लक्ष्य सांसारिक जीवन अथवा स्कूल के बाद के जीवन की तैयारी के रूप में ज्ञान अर्जन नहीं बल्कि पूर्ण आत्मज्ञान और मुक्ति के रूप में माना गया है तक्षशिला नालंदा विक्रमशिला और वल्लभी जैसे प्राचीन भारत के विश्व स्तरीय संस्थाओं ने अध्ययन के विविध क्षेत्रों में शिक्षक और शोध के प्रतिमान स्थापित किए थे| प्राचीन काल में अध्ययन का स्रोत केवल पुस्तक ही नहीं बल्कि विद्वत जनों का भाषण भी था छात्र विद्यार्जन के साथ-साथ कुश्ती घुड़सवारी ज्योतिष शास्त्र जैसी कलाएं भी सिखते थे और अपने गुणों का विकास करते थे जो शिक्षा का व्यापक अर्थ है शिक्षा अर्थात बालक की अंतर निहित गुणों का बाहर की ओर सर्वांगीण विकास करना।

How To Cite

"आधुनिक समय में प्राचीन भारतीय शिक्षा प्रणाली की प्रासंगिकता", IJSDR - International Journal of Scientific Development and Research (www.IJSDR.org), ISSN:2455-2631, Vol.9, Issue 9, page no.389 - 396, September-2024, Available :https://ijsdr.org/papers/IJSDR2409043.pdf

Issue

Volume 9 Issue 9, September-2024

Pages : 389 - 396

Other Publication Details

Paper Reg. ID: IJSDR_212536

Published Paper Id: IJSDR2409043

Downloads: 000347140

Research Area: Social Science and Humanities 

Country: Patna, Bihar, India

Published Paper PDF: https://ijsdr.org/papers/IJSDR2409043

Published Paper URL: https://ijsdr.org/viewpaperforall?paper=IJSDR2409043

DOI: https://doi.org/10.5281/zenodo.13998003

About Publisher

ISSN: 2455-2631 | IMPACT FACTOR: 9.15 Calculated By Google Scholar | ESTD YEAR: 2016

An International Scholarly Open Access Journal, Peer-Reviewed, Refereed Journal Impact Factor 9.15 Calculate by Google Scholar and Semantic Scholar | AI-Powered Research Tool, Multidisciplinary, Monthly, Multilanguage Journal Indexing in All Major Database & Metadata, Citation Generator

Publisher: IJSDR(IJ Publication) Janvi Wave

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