INTERNATIONAL JOURNAL OF SCIENTIFIC DEVELOPMENT AND RESEARCH International Peer Reviewed & Refereed Journals, Open Access Journal ISSN Approved Journal No: 2455-2631 | Impact factor: 8.15 | ESTD Year: 2016
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भारतीय संस्कृति में साहित्य सृजन की परंपरा प्राचीन काल से ही रही है। उसी श्रंखला में जैन दर्शन में एक अत्यंत ही प्राचीन साहित्य जो कि लगभग प्रथम व द्वितीय शताब्दी में रचित जिसका नाम तत्त्वार्थसूत्र है अपरनाम मोक्षशास्त्र है सुप्रसिद्धि को प्राप्त है। यह आचार्य श्री उमास्वामी की कृति है। इसमें सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान एवं सम्यग्चारित्र के वर्णन के साथ-साथ छह द्रव्य, सात तत्त्व,नय,नवपदार्थ एवं तीनों लोकों के बारे में जानकारी प्रदान की गई है। यह संस्कृत भाषा का सूत्र ग्रंथ है ,जो कि 10 अध्यायों में विभक्त है जिसमें 357 सूत्र हैं।इसमें जीव के जन्म से लेकर मोक्ष प्राप्ति को व्यवहार में लाने का मार्गदर्शन किया गया है। यह जैन दर्शन का आधार ग्रंथ माना जाता है। यह रिसर्च पेपर इस ग्रंथ की वर्तमान संदर्भ में उपयोगिता पर आधारित है।
Keywords:
तत्त्वार्थसूत्र का परिचय एवं उसके दसों अध्यायों का सार तत्त्वार्थसूत्र ग्रंथ की विशेषताएं तत्त्वार्थसूत्र के व्याख्या ग्रंथों की समीक्षा वर्तमान परिप्रेक्ष्य में तत्त्वार्थसूत्र के सूत्रों की उपयोगिता शोधकार्य का उद्देश्य सन्दर्भ ग्रंथ की सूची
Cite Article:
"वर्तमान संदर्भ में तत्त्वार्थसूत्र की उपयोगिता", International Journal of Science & Engineering Development Research (www.ijsdr.org), ISSN:2455-2631, Vol.8, Issue 7, page no.1005 - 1013, July-2023, Available :http://www.ijsdr.org/papers/IJSDR2307151.pdf
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Publication Details:
Published Paper ID: IJSDR2307151
Registration ID:207913
Published In: Volume 8 Issue 7, July-2023
DOI (Digital Object Identifier):
Page No: 1005 - 1013
Publisher: IJSDR | www.ijsdr.org
ISSN Number: 2455-2631
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