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INTERNATIONAL JOURNAL OF SCIENTIFIC DEVELOPMENT AND RESEARCH
International Peer Reviewed & Refereed Journals, Open Access Journal
ISSN Approved Journal No: 2455-2631 | Impact factor: 8.15 | ESTD Year: 2016
open access , Peer-reviewed, and Refereed Journals, Impact factor 8.15

Issue: May 2024

Volume 9 | Issue 5

Impact factor: 8.15

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Paper Title: गोंड पुरुषों के प्रजनन स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारक ( महाराष्ट्र राज्य के वर्धा जिले के विशेष संदर्भ में
Authors Name: Nawalesh Ram
Unique Id: IJSDR2307139
Published In: Volume 8 Issue 7, July-2023
Abstract: गोंड पुरुषों के प्रजनन स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारक ( महाराष्ट्र राज्य के वर्धा जिले के विशेष संदर्भ में ) Name :- nawalesh ram email :-nawleshr@gmail.com Research scholar Department of Anthropology, M.G.A.H.V.wardha Maharashtra, 442001 सारांश :- वर्तमान परिदृश्य में पुरुषों के प्रजनन स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले अनेक कारक हैं। धूम्रपान का उपयोग वर्तमान में गोंड समाज में काफी बढ़ गया है जिससे पुरुषों के प्रजनन स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। धूम्रपान, शराब, गुटखा के अधिकतम सेवन से गोंड पुरुष के प्रजनन की गुणवत्ता प्रभावित होती है। यह समाज के युवा गुटका का अधिक सेवन करते हैं मगर इसका प्रजनन स्वास्थ्य पर कितना हानिकारक प्रभाव पड़ता है इसके बारे में लोग अनजान हैं। गुटका का हमेशा सेवन से कैंसर जैसी बीमारी होती है जिस प्रजनन स्वास्थ ही नहीं बल्कि शरीर की संपूर्ण संरचना उससे प्रभावित होती है। गोंड पुरुष लोग इस प्रकार के नशीले पदार्थों के सेवन की आदत और प्रजनन स्वास्थ्य समस्या की वजह से तनाव में रहते हैं। तनाव भी प्रजनन स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। चूँकी तनाव से व्यक्ति को हृदय रोग, अस्थमा, मोटापा, डिप्रेशन आदि हो जाता है जिससे पुरुषों के प्रजनन क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। गोंड समाज में अधिकांश युवा को उम्र के साथ स्वप्न दोष हो रहा है। यह सप्ताह में एक या दो बार होता है तब किसी प्रकार की समस्या नहीं थी। मगर कुछ युवा के बार-बार स्वप्नदोष होता है जिससे उनका प्रजनन स्वास्थ्य प्रभावित होता है। स्वप्नदोष जिनको सप्ताह में अनेक बार हो जाता था वे शारीरिक रूप से कमजोर महसूस करते हैं। वह व्यक्ति असहज महसूस करता है जिसके कारण प्रजनन स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। कुंजी शब्द :- धूम्रपान, मदिरा , गुटखा , स्वप्नदोष, तनाव। प्रस्तावना :- नशा मादक द्रव्य के व्यवहार से उत्पन्न होने वाला एक दशा है जिसमें शराब, तंबाकू, धूम्रपान और इसी प्रकार के अन्य नशीले पदार्थ शामिल हैं। इनके प्रयोग से व्यक्ति के शरीर में एक प्रकार की गर्मी उत्पन्न होती है जिसमें मनुष्य का मस्तिष्क क्षुब्ध और उत्तेजित हो उठता है जिसमें स्मृति याद कम हो जाता है इसी दशा को नशा कहते हैं। किसी भी ऐसे नशीले पदार्थों की लत जिनके मिलने पर मानव शरीर को चैन मिले वह नशा है जैसे शराब, सिगरेट, खैनी और गुटका आदि। व्यक्ति नशा का प्रयोग अपने खासकर आदतों की वजह से करता है। व्यक्ति को जब नशे की लत लग जाती है तब वह व्यक्ति नशा करना जरूरी समझता है और वह नशा करने के लिए किसी भी हद को पार कर सकता है। नशा अनेक प्रकार के होते हैं जिसमें व्यक्ति अपनी इच्छा के अनुसार जिस नशा की आदत होती है उसके अनुसार नशीले पदार्थों का सेवन करता है। नशा के प्रकार इस प्रकार है शराब, तंबाकू, बीड़ी, और सिगरेट इस प्रकार के नशा का प्रयोग खासकर ग्रामीण क्षेत्र में किया जाता है। गोंड जनजाति समाज में इसी प्रकार के नशा किया जाता है। वहाँ पर लोग अधिकांश धूम्रपान तंबाकू, मदिरा आदि का सेवन पर्याप्त मात्रा में करते हैं क्योंकि इस प्रकार के नशा उस समाज में व्याप्त है। तनाव भी बाँझपन का एक हिस्सा है क्योंकि सामाजिक दबाव, निदान, उपचार, निदान की विफलता, अधूरी इच्छा, और आर्थिक तंगी आदि के कारण व्यक्ति जब तनाव महसूस करता है, तब शुक्राणु की गुणवत्ता प्रभावित होती है जिससे प्रजननता भी प्रभावित होती है। तनाव व्यक्ति के शुक्राणु पर नकारात्मक प्रभाव डालता है जिससे प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है। अनेक पुरुष बाँझपन की समस्या से गुजर रहे हैं जिसमें तनाव भी वीर्य कमी का परिणाम है(Llacqua, et all 2018 )। तंबाकू धूम्रपान सेवन करने से व्यक्ति के फेफड़े पर तंबाकू धूम्रपान आघात पहुँचाता है। जिससे कैंसर एवं मुँह का कैंसर होने का मुख्य कारण भी होता है। बीमारी होने पर व्यक्ति का प्रजनन पर प्रभाव पड़ता है। तंबाकू, धूम्रपान व्यक्ति के मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण भी है। पूरे दुनिया में तंबाकू से मरने वालों की संख्या लगभग 5 मिलियन है। भारत में तंबाकू, धूम्रपान के सेवन का प्रचलन काफी बढ़ रहा है। देश में तंबाकू के उपयोग का सबसे अधिक संवेदनशील मामला किशोरावस्था और वयस्क (15-24) के दौरान लोग अधिक कर रहे हैं। महाराष्ट्र में ग्लोबल यूथ टोबैको सर्वे के अनुसार वर्तमान में 12.9 प्रतिशत किशोर (13-15 वर्ष) किसी न किसी तंबाकू उत्पाद का सेवन करते हैं। इसलिए युवाओं पर तंबाकू धूम्रपान का रोकथाम पर ध्यान केंद्रित करना जरूरी है (Narayana et al2011)। तंबाकू से भारत में हर साल 1 मिलियन से अधिक लोगों की मृत्यु हो जाती है जो कुल मौत का 9.5 प्रतिशत है। भारत में लगभग 267 मिलियन तंबाकू सेवनकर्ता है‌। भारत में लगभग 42.4 प्रतिशत वयस्क पुरुष 14.2 प्रतिशत वयस्क महिलाएँ वर्तमान में धूम्रपान का सेवन कर रही हैं। जनजातीय समुदाय के लोग आर्थिक रूप से कमजोर हैं तथा भौगोलिक अलगाव में रहते हैं। उनका साक्षरता दर कम है। कृषि और वन उत्पाद उनके पारंपारिक व्यवस्था हैं और यही लोग तंबाकू उत्पाद का उपयोग अधिक करते हैं। तंबाकू का उपयोग अधिक करने से व्यक्ति के स्वास्थ्य पर कुप्रभाव पड़ता है जिससे व्यक्ति की मौत भी हो जाती है। इन सारी चीजों को देखते हुए भारत सरकार ने लोगों को जागरूक करने के लिए अनेक कदम भी उठाए हैं। सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान प्रतिबंध, तंबाकू उत्पाद पर कर में वृद्धि, तंबाकू उत्पाद पर अनिवार्य जागरूकता और चेतावनी, स्कूल और कॉलेजों में तंबाकू बिक्री पर प्रतिबंध जैसे अनेक उपाय किए हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 के अनुसार तंबाकू के उपयोग में 2020 तक 15 प्रतिशत 2025 तक 30 प्रतिशत तक कम करने का निर्धारित किया गया है (Kumart et al 2022)। गुटखा सेवन का प्रचलन काफी बढ़ गया है युवा से लेकर वृद्ध लोग तक इसका सेवन काफी कर रहे हैं। लेकिन गुटखा का अधिक सेवन करने से कई तरह की बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है जैसे कैंसर, बल्कि गुटखा सेवन से सिर्फ कैंसर ही नहीं होता शरीर के कुछ घटकों जैसे डीएनए को भी नुकसान पहुँचा सकता है। गुटखे के सेवन से शरीर के हार्मोन पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। भारत में तंबाकू के कई रूप बेचे जाते हैं और गुटखा भी उनमें से एक उत्पाद है। जो लोग नशे की लत की वजह से तंबाकू-गुटखा आदि का सेवन पर्याप्त मात्रा में करते हैं उनके स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है। गुटखा में निकोटिन पर्याप्त मात्रा में होता है जिसकी वजह से स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है। इसके अधिक सेवन से हृदय पर, फेफड़े पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। अधिक गुटखा उपयोग करने से भूख कम लगती है, नींद के पैटर्न में असामान्य बदलाव को बढ़ावा मिलता है। जो लोग गुटखा का सेवन करते हैं उनके दाँतों पर पीले, नारंगी और लाल रंग के दाग पर पड़ जाता हैं जो ब्रश करने से भी नहीं छूटता है तथा हटाना मुश्किल होता है। जिससे दाँतों की समस्या होना आरम्भ हो जाता है। इन सभी नशीले पदार्थों का प्रभाव शरीर की संपूर्ण संरचना पर पड़ता है जिससे प्रजनन स्वास्थ्य भी प्रभावित होती है(Agrawal, 2018)। गोंड जनजातीय समाज में गुटखा का सेवन अधिकांश लोग कर रहे हैं। जो लोग प्रतिदिन गुटखा का सेवन कर रहे हैं उनके दाँतों पर गुटखा सेवन के प्रभाव को देखा गया है। गुटखा सेवन करने वाले अधिकांश पुरुषों के दाँतों पर लाल और काला छाह पड़ा हुआ था। ऐसा इसलिए था कि वो हमेशा गुटखा का सेवन करते हैं। गुटखा का अधिक सेवन करने से दाँतों का सड़ना, मसूड़ा में जलन होना आदि जैसे बीमारियों से लोग ग्रसित हैं। इस प्रकार गुटखा के सेवन से गोंड पुरुषों के प्रजनन स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। जनजातीय समाज में महुआ के दारू का प्रचलन काफी पुराना है। उनकी संस्कृति का एक हिस्सा है जो स्थानीय सभाओं और समारोह में इसका भरपूर मात्रा में सेवन किया जाता है। महुआ के द्वारा बने दारू का सेवन वर्तमान परिदृश्य में जनजातीय समाज में काफी बढ़ता जा रहा है। जनजाति समाज के लोग महुआ के दारू को काफी महत्व देते हैं। अधिक मात्रा में महुआ के दारू का सेवन भी स्वास्थ्य के लिए नुकसान दायक है (Salwan, 2022)। गोंड समाज में महुआ के दारू जहाँ एक ओर उनकी संस्कृति से जुड़ा हुआ है वहीं दूसरी तरफ लोग अधिक महुआ के दारू पीकर घर से लेकर बाहर तक झगड़ा-झंझट, मारपीट, गाली-गलौज आदि करते हैं। गोंड पुरुष लोग दारू पीकर घर में अपना पत्नी से खूब मारपीट करते हैं तथा नशा में डूबे रहते हैं जिसके कारण घर में पारिवारिक बिखराव की स्थिति बनी रहती है। इस प्रकार के परिवार में तनाव की वजह से है स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। वर्तमान जीवन शैली में कमजोरी तनाव गर्म तेल मसाला खानपान लुभावने सपने कब्ज मोटापा डिप्रेशन आदि के कारण युवा लोग को स्वपन दोष होता है। स्वपनदोष अगर हफ्ते में एक बार या दोबार हो तब कोई समस्या नहीं है मगर बार-बार हो तब यह गंभीर समस्या का कारण बन सकता है। बार-बार वीर्यपात होने से तनाव कमजोरी आदि महसूस होता है। वीर्यपात से शुक्राणु भी कम होते हैं जिसके परिणामस्वरूप स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है जिससे प्रजनन स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है। अधिक मात्रा में वीर्यपात स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। शारीरिक दुर्बलता काम उत्तेजना में कमजोरी तथा कई गुप्त बीमारी की वजह स्वपनदोष बन जाता है। स्वपनदोष यदि स्वाभाविक सीमा को लाँधकर अति की श्रेणी में आ जाता है तब इसे अस्वाभाविक स्वपनदोष कहते हैं। ऐसे स्वपनदोष को रोग का नाम दिया जाता है क्योंकि धीरे- धीरे यही गंभीर और विकराल रूप धारण कर लेता है जिससे गुप्त समस्या का कारण बन सकता है जिसका प्रभाव पुरुष के प्रजननता पर पड़ता है(Admin, 2022)। गोंड जनजाति समाज के अधिकांश युवा लोग स्वपनदोष से काफी परेशान रहते थे। उनमें से कुछ लोग ऐसे थे जिन्हें बार-बार स्वपनदोष होता था जिसके चलते वह प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराए थे। उन लोगों के कहना था कि बार-बार स्वपनदोष होने से शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता था इसलिए इसका इलाज कराए हैं। गोंड पुरुषों के 15 - 25 वर्ष के युवा थे जो स्वपनदोष से काफी परेशान रहते थे इन लोगों को स्वपनदोष काफी होता था। पहले ये लोग किसी से नहीं बताते थे मगर स्वास्थ्य पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ने लगा तथा शरीर कमजोर होने लगा तब लोग चिंता और स्ट्रेस्ड महसूस करने लगे इसके बाद स्वास्थ्य कार्यकर्ता से परामर्श लेकर इसका इलाज कराए। कुछ लोगों का मानना था कि यह उम्र के साथ होता है लेकिन अधिकांश लोग ऐसे थे जिनकी उम्र 20 वर्ष से ऊपर थी और वे स्वपनदोष से काफी परेशान रहते थे। उन्हें हफ्ता में तीन या चार बार हो जाता था जिसका प्रतिकूल प्रभाव पूरे शरीर पर पड़ता था। इसलिए इस प्रकार की समस्या से जो लोग परेशान थे वे लोग इलाज कराए तब उनकी यह समस्या ठीक हुई। ये गोंड लोग जंगली क्षेत्र और एक दुर्गम स्थान पर निवास करते हैं जँहा स्वास्थ्य से संबंधित जानकारी सिर्फ स्वास्थ्य कार्यकर्ता और मोबाइल इंटरनेट से ही प्राप्त होती है। दुर्गम स्थान पर निवास होने की वजह से बाहरी संस्कृति का वहाँ प्रभाव नहीं है। इन लोगों को उतना स्वास्थ्य के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं है जिसके चलते स्वास्थ्य संबंधित कोई बीमारी होती है तब उतना काफी ध्यान नहीं दे पाते हैं। जब बीमारी काफी बढ़ जाती है तब लोग सोचते हैं और सरकारी अस्पताल या प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में जाकर इलाज कराते हैं मगर गुप्त समस्या होने पर लोग किसी प्राइवेट अस्पताल या दवाई विक्रेता से संपर्क करके उसका इलाज लेते हैं। बहुत लोग गुप्त समस्या होने पर शर्मिंदगी महसूस करते हैं जिसकी वजह से सही समय पर उसका इलाज नहीं ले पाते हैं जिसके कारण उसका प्रभाव प्रजनन स्वास्थ्य पर प्रतिकूल पड़ता है। इस प्रकार जब लोग स्वास्थ्य समस्याओं से गुजरते हैं तब लोग काफी तनाव का महसूस करते हैं। तनाव होने से भी व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। जब व्यक्ति किसी समस्या को लेकर तनाव में रहता है तब वह काफी असहज महसूस करता है जिसकी वजह से व्यक्ति के शरीर पर कई प्रकार के लक्षण सामने आने लगते हैं जिसकी वजह से प्रजनन स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। व्यक्ति जब ज्यादा तनाव महसूस करता है तब रक्तचाप बढ़ जाता है, श्वास तेज हो जाता है, पाचन तंत्र धीमा होता जाता है, प्रतिरक्षा गतिविधियाँ कम हो जाती है मांस पेशिया अधिक तनावग्रस्त होती है तथा नींद में भी कमी आने लगती है इस प्रकार जब व्यक्ति के स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है तब स्वतः ही प्रजनन स्वास्थ्य इससे प्रभावित होता है। उद्देश्य :- पुरुष के प्रजनन स्वास्थ्य पर विभिन्न अवयव के प्रभाव का विश्लेषण करना। आँकड़ों के संकलन की विधि :- तथ्यों का संकलन गुणात्मक शोध प्रविधि का प्रयोग करते हुए व्यक्तिगत साक्षात्कार और अर्ध सहभागी अवलोकन के माध्यम से किया गया है। गोंड समाज में शराब, गुटखा, तंबाकू आदि के सेवन का प्रभाव काफी है। गुटखा, धूम्रपान प्रतिदिन सेवन करनवाले लोग मौखिक समस्या से गुजर रहे हैं जिससे उनका स्वास्थ्य भी प्रभावित हो रहा है। गोंड समाज में लोग बहुत कम उम्र से ही इसका सेवन करने लगते हैं क्योंकि ये सभी नशीले पदार्थ उनके संस्कृति से जुड़ा हुआ है लेकिन इसके स्वास्थ्य पर प्रभावों के बारे में संपूर्ण ज्ञान नहीं है। इस समाज में महुआ के दारू अधिकांश लोगों के यहाँ बनता है। लोग बेचते भी है और इसके साथ-साथ खूब पीते भी हैं। क्योंकि यह शराब उनके संस्कृति से जुड़ा हुआ है फिर भी शराब का समाज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। क्योंकि लोग शराब की वजह से पारिवारिक और सामाजिक तनाव से जूझ रहे हैं जिसके कारण उनका स्वास्थ्य भी प्रभावित हो रहा है। अध्ययन क्षेत्र कार्य में महाराष्ट्र राज्य के वर्धा जिला के सेलू तहसील के अंतर्गत रिधोरा ग्राम पंचायत के चार रिधोरा, तामासवाडा, आमगाँव और रायपुरगाँव के 210 पुरुष लोगों का साक्षात्कार लिया गया है। यह चारों गाँव जंगल से घिरा हुआ है। यह गाँव एक जंगली क्षेत्र व दुर्गम स्थान पर है जहाँ गोंड जनजाति समाज के लोग निवास करते हैं। यह गाँव ऐसे स्थान पर है जँहा बाहरी संस्कृति का कोई प्रभाव नहीं है। यहाँ के शिक्षित लोगों पर थोड़ी आधुनिकता प्रभाव पड़ा है फिर भी अधिकांश लोग पारंपरिक तरीके से जीवनयापन करते हैं। विश्लेषण :- गोंड जनजातीय समाज में कुछ पुरुष ऐसे थे जो धूम्रपान गुटखा मदिरा आदि का सेवन काफी करते हैं जिससे उनको कोई न कोई स्वास्थ्य समस्या होता था। समस्या होने पर वह हमेशा तनाव ग्रस्त महसूस करते थे इन सभी का प्रभाव उनके स्वास्थ्य पर पड़ता है जिससे प्रजनन स्वास्थ्य प्रभावित होता है। जो लोग धूम्रपान गुटखा का काफी सेवन करते थे उनके दाँतों पर लाल काला, छाला पड़ा हुआ रहता था और वह मौखिक समस्या से ग्रस्त रहते थे। कुछ युवा ऐसे थे जो स्वपनदोष से काफी परेशान थे जिसका प्रभाव उनके शारीरिक मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता था जिससे प्रजनन स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है। शोध का महत्व :- गोंड जनजाति समाज में गुटखा धूम्रपान दारू के हानिकारक प्रभाव को जानकारी होना बहुत जरूरी है। क्योंकि जानकारी के अभाव में लोग नशीले पदार्थों का खूब सेवन कर रहे हैं जिससे लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। पुरुषों के प्रजनन स्वास्थ्य पर प्रभाव डालने वाले संपूर्ण नशीली पदार्थ पर विचार करने की आवश्यकता है ताकि उन नशीले पदार्थों के पड़ने वाले प्रभावों के बारे में लोगों को संपूर्ण ज्ञान प्रदान किया जा सके। गोंड पुरुषों के प्रजनन स्वास्थ्य पर धूम्रपान, मदिरा, गुटखा स्वपनदोष तनाव आदि के द्वारा क्या प्रभाव पड़ता है उसका अध्ययन किया गया है। निष्कर्ष :- गोंड समाज में गुटखा, धूम्रपान, तंबाकू, मदिरा आदि का अत्यधिक प्रचलन है। युवा से लेकर वृद्ध लोग इनका अधिक सेवन करते हैं। गोंड पुरुष लोग धूम्रपान, तंबाकू, गुटखा का इतना सेवन करते हैं कि उनके दाँतों पर इसका प्रभाव देखा गया है। अनेक पुरुष ऐसे थे जिनका नशीले पदार्थों के सेवन से उनका दाँत काला, लाल और नारंगी रंग के हो गया था तथा कई लोग मौखिक समस्या से गुजर रहे हैं। जिसका प्रतिकूल प्रभाव उनके स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। जब स्वास्थ्य संबंधी कोई समस्या होती है तब इसका प्रभाव प्रजनन स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। मदिरा का सेवन इतने लोग कर रहे हैं कि घर में पारिवारिक तनाव हमेशा बना रहता है। तनाव की वजह से स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ता है जिसे प्रजनन स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है। कुछ युवा ऐसे थे जिन्हें स्वपनदोष बार-बार होता था जिससे वह काफी परेशान रहते थे बार-बार स्वपनदोष होने से शारीरिक मानसिक कमजोरी महसूस करते हैं जिसका प्रभाव प्रजनन स्वास्थ्य पर पड़ता है। प्रजनन स्वास्थ्य को प्रभावित करनेवाले कारक संदर्भ- सूची (References) • Narayana, D. n., 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(2018) gutkha se nuksan, esse honewale rog, chhodne ke fayede. https://www.myupchar.com/tips/tobacco/gutkha • Admin, (2022) स्वप्नदोष की बीमारी और उसका इलाज. एडमिन, (2022) swapn dosh ki bimari our uska elaj. https://hihindi.com/स्वप्नदोष-nightfall-ka-desi-ilaj-in-hindi/ • Llacqua, A., Izzo, G., Emerenziani, P.G., Baldari, C., And Awrsa, A. (2018). Lifestyle and fertility : the influence of stress and quality of life on male fertility. Reproductive biology and endocrinology. 16, Article number: (115) page 11. https://doi.org/10.1186/s12958-018-0436-9
Keywords: कुंजी शब्द :- धूम्रपान, मदिरा , गुटखा , स्वप्नदोष, तनाव।
Cite Article: "गोंड पुरुषों के प्रजनन स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारक ( महाराष्ट्र राज्य के वर्धा जिले के विशेष संदर्भ में ", International Journal of Science & Engineering Development Research (www.ijsdr.org), ISSN:2455-2631, Vol.8, Issue 7, page no.934 - 938, July-2023, Available :http://www.ijsdr.org/papers/IJSDR2307139.pdf
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Publication Details: Published Paper ID: IJSDR2307139
Registration ID:207838
Published In: Volume 8 Issue 7, July-2023
DOI (Digital Object Identifier):
Page No: 934 - 938
Publisher: IJSDR | www.ijsdr.org
ISSN Number: 2455-2631

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