INTERNATIONAL JOURNAL OF SCIENTIFIC DEVELOPMENT AND RESEARCH International Peer Reviewed & Refereed Journals, Open Access Journal ISSN Approved Journal No: 2455-2631 | Impact factor: 8.15 | ESTD Year: 2016
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गांधीजी की बुनियादी शिक्षा: मूल्य शिक्षा का एक माध्यम
Authors Name:
Kashmir Singh
Unique Id:
IJSDR2307169
Published In:
Volume 8 Issue 7, July-2023
Abstract:
शोध सार : शिक्षा का कार्य आदर्श नागरिक बनाना है। आदर्श का अर्थ है कि व्यक्ति सद्गुणों से ओत-प्रोत है और सदैव अच्छा व्यवहार करता है। सुसंगत और व्यापक विकास के लिए आदर्श नागरिक पूर्व-आवश्यकता हैं। श्रेष्ठ नागरिक बनाने की शिक्षा का अर्थ है ‘लोगों के हृदय की शिक्षा’, यह उम्मीद करता है कि शिक्षा व्यक्तियों के दिलों को बदल देगी। शिक्षा एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक ज्ञान के प्रवाह का माध्यम रही है। व्यक्ति के सामाजिक तथा व्यक्तिगत स्वरूप को शिक्षा द्वारा प्रकट किया जा सकता। आज की शिक्षा में नीति शास्त्र और मूल्यों का कोई सार्थक स्थान नहीं होने के कारण समाज में हिंसा को सामान्य घटना माना जा रहा है। शिक्षा विचारों के संचरण का माध्यम है तथा उन विचारों के अनुसार चरित्र तथा समाज का विकास करने का साधन है। शिक्षा एक व्यक्ति के जीवन दर्शन को उसके व्यक्तिगत आदर्शों तथा लक्ष्यों से ही नहीं जोड़ती है, बल्कि उसको समाज से भी जोड़ती है। गांधी जी के दर्शन तथा उनके विचारों के अनुसार यदि हमें समाज की वर्तमान समस्याओं से लड़ना है तो उनका हल हमें शैक्षिक प्रणाली में ढूंढना होगा। गांधी जी ने सच्ची शिक्षा उसे माना है जो बालकों में सीखने की प्राकृतिक शक्ति को विकसित करें। वास्तविक शिक्षा का अर्थ समझाते हुए महात्मा गांधीजी कहते हैं, "वास्तविक शिक्षा में बहुत सारी जानकारी और संख्याएँ मन में रट लेना शामिल नहीं है। न ही यह कई पुस्तकों को पढ़कर परीक्षा पास करने में निहित है, बल्कि यह चरित्र निर्माण में निहित है। वास्तविक शिक्षा जो मनुष्य में आंतरिक गुणों (मूल्यों) को विकसित करती है, यदि आप ऐसे गुणों को विकसित कर सकते हैं, तो यह सबसे अच्छी शिक्षा होगी”। मूल्य शिक्षा का अर्थ है वह शिक्षा जो सद्गुणों और मूल्यों को व्यवहार में लाना सिखाती हैं, गांधीजी का शिक्षा दर्शन बेहद व्यापक एवं जीवनोपयोगी हैं । महात्मा गांधी के जीवन मूल्यों में राष्ट्रीय सभ्यता और संस्कृति का अहम स्थान था, उनकी बुनियादी शिक्षा का प्रारूप भी इन उच्च आदर्शों के साथ बालक के परिवेश से जड़े व्यवसायों से सम्बन्धित था। उनके मुताबिक़ एक बालक अपने स्थानीय शिल्प में शिक्षा अर्जित कर कुशल कारीगर बनकर अपने जीवन का निर्वाह आसानी से कर सकता हैं। गांधीजी की शिक्षा का जुड़ाव जीवन से था, उसका आधार और उद्देश्य ही जीवन था, इसलिए उन्होंने बुनियादी या आधारभूत शिक्षा का नाम दिया। उन्होंने शिक्षा के मुख्य सिद्धातों, उद्देश्यों तथा शिक्षा की योजना को मूर्त रूप देने का प्रयत्न किया। गांधीजी का आधुनिक शिक्षा दर्शन उन्हें समाज में एक शिक्षाशास्त्री का दर्जा दिलवाता हैं, उन्होंने बुनियादी शिक्षा के क्षेत्र में जो योगदान दिया, वह अद्वितीय था ।
Keywords:
मुख्य शब्द : बुनियादी शिक्षा, चरित्र निर्माण, महात्मा गांधी, शिक्षा दर्शन, आधुनिक शिक्षा ।
Cite Article:
"गांधीजी की बुनियादी शिक्षा: मूल्य शिक्षा का एक माध्यम", International Journal of Science & Engineering Development Research (www.ijsdr.org), ISSN:2455-2631, Vol.8, Issue 7, page no.1138 - 1141, July-2023, Available :http://www.ijsdr.org/papers/IJSDR2307169.pdf
Downloads:
000338536
Publication Details:
Published Paper ID: IJSDR2307169
Registration ID:207933
Published In: Volume 8 Issue 7, July-2023
DOI (Digital Object Identifier):
Page No: 1138 - 1141
Publisher: IJSDR | www.ijsdr.org
ISSN Number: 2455-2631
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