INTERNATIONAL JOURNAL OF SCIENTIFIC DEVELOPMENT AND RESEARCH International Peer Reviewed & Refereed Journals, Open Access Journal ISSN Approved Journal No: 2455-2631 | Impact factor: 8.15 | ESTD Year: 2016
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पुरुष (आत्मा) के सम्बन्ध में श्वेताश्वर उपनिषद् के विचार : एक विवेचन
Authors Name:
डॉ. भारत भूषण सिंह
, डॉ. संदीप ठाकरे
Unique Id:
IJSDR2306085
Published In:
Volume 8 Issue 6, June-2023
Abstract:
श्वेताश्वतर उपनिषद आत्मतत्व के विविध पहलुओं का निरूपण करती है। इस उपनिषद में आत्मा को अनन्त, अविनाशी, अनादि, नित्य, सर्वव्यापी, ज्ञानस्वरूप, आनन्दस्वरूप, निःशेषज्ञानस्वरूप, अचिन्त्य, शुद्ध और स्वतन्त्र आदि गुणों से परिभाषित किया गया है। इसके अलावा, यह उपनिषद आत्मा को मनुष्य के शरीर, मन, बुद्धि, प्राण और इंद्रियों के आत्मा से संबद्ध भाग के रूप में भी वर्णित करती है। उपनिषद में आत्मा को ज्ञान के स्रोत, आधार और उद्देश्य के रूप में भी देखा जाता है। यहां बताया जाता है कि आत्मज्ञान के माध्यम से ही मनुष्य को मुक्ति मिलती है और वह अविद्या और संसार से परे स्थिति को प्राप्त करता है। श्वेताश्वतर उपनिषद आत्मतत्व की महत्त्वपूर्णता, आत्मज्ञान के प्राप्ति के मार्ग, और आत्मा की अद्वैत और ईश्वरीय स्वरूप को समझाने के लिए एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है। आत्मा का अविनाशी स्वरूप: गीता में आत्मा को अविनाशी, अजन्मा और अमर कहा गया है। आत्मा को शरीर से अलग और नित्य माना गया है। यह दर्शाता है कि आत्मा अन्तर्यामी है और मरने योग्य नहीं है। आत्मा से अलग चित्त की अवस्था ही दुख है । यह चित्त ही समस्त विचारों, वासनाओं तथा इच्छाओं का केन्द्र है । इसी के कारण सुख-दुख का अनुभव होता है ।आत्मा का दर्शन पाकर सभी दुःखो से मुक्ति संभव है।उपनिषदो मे ब्रह्म व आत्म के संबंध मे विस्तृत चर्चा की गयी है।जिस विद्या अथवा ज्ञान के द्वारा ब्रह्म का सामीप्य अथवा साक्षात्कार हो वह विद्या या ज्ञान ही उपनिषद् है।प्रस्तुत शोध पत्र में श्वेताश्वतरोपनिषद के पुरुष (आत्मा) से संबंधित तत्त्वो पर विचार किया गया है।
"पुरुष (आत्मा) के सम्बन्ध में श्वेताश्वर उपनिषद् के विचार : एक विवेचन ", International Journal of Science & Engineering Development Research (www.ijsdr.org), ISSN:2455-2631, Vol.8, Issue 6, page no.580 - 582, June-2023, Available :http://www.ijsdr.org/papers/IJSDR2306085.pdf
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Publication Details:
Published Paper ID: IJSDR2306085
Registration ID:207158
Published In: Volume 8 Issue 6, June-2023
DOI (Digital Object Identifier):
Page No: 580 - 582
Publisher: IJSDR | www.ijsdr.org
ISSN Number: 2455-2631
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